लौट जाओ तुम्हें कोई अपना प्यार करता होगादेख मेरी तरह आईने से इज़हार करता होगा इक साया सा आता है तेरा जो खफ़ा खफ़ा सा लगता हैजाने तू किस बात का मुझसे ख़ुमार करता होगा ये किस बात का असर मेरी धड़कन तेज़ हो जाती हैआजकल तेरे दिल का काम मेरा दिल लगातार करता होगाContinue reading “इन्तज़ार”
Author Archives: GAURAV SINGH
उधार नहीं देता
यहां के अजीब लोग कोई एतबार नहीं देतामैं खुशियां बांट देता हूं उधार नहीं देता मेरी जिंदगी ख़त्म होते होते रह जाती हैमैं किसी को रुकने का इंतजार नहीं देता मेरे ख़्याल और ज़हन में कोई तो आएवही क्यूं आता है जो प्यार नहीं देता ख़्वाब मेरे सिमटे और सिमटते गए ख़त्म हो गएआख़िरी उम्मीदContinue reading “उधार नहीं देता”
कुछ अनकहा-2
अब थक गया हूं मैं और ख़ुद की वक़ालत नहीं कर सकतामेरे भरोसे मत रह दिल अब मैं तेरी हिफाज़त नहीं कर सकता हुए थे जो मेरे एहसास मैंने बड़े हिफाज़त से सज़ा रखे हैंमैं लिखकर दिखा सकता हूं मग़र बात नहीं कर सकता कहने को कुछ बाकी नहीं छोड़ा हमनें वैसेमैं हर किसी केContinue reading “कुछ अनकहा-2”
नज़र
मेरी आंखों को किसकी नज़र लग गईउसके दिल में भी कोई है हमें ख़बर लग गई इक ज़िंदगी और मिले ऐसी दुआ नहीं चाहिएकैसे उभरे इस ग़म से इसमें ज़िंदगी ज़हर लग गई नूर तक हमें देखने की ख्वाहिशें बहोत थीं मग़रआसमां में देखते रहे और सहर लग गई आख़िरी जवाब से हमनें दिल येContinue reading “नज़र”
कुछ नया
अग़र ज़िंदगी में कुछ नया न होतापुराना हमारा था वो गया न होता अब उसे अब की तरहा दूर करना हैअच्छा होता जो खुद को दरिया में डुबाया न होता इतना भी क्या इख्तियार करना किसी पेबच जाते हम अग़र दिल उसे दिखाया न होता हमनें तो हर लम्हा उसकी ख्वाहिशें पूरी कीहम मतलबी होतेContinue reading “कुछ नया”
कुछ अनकहा
अग़र ज़िंदगी में कुछ नया न होतापुराना हमारा था वो गया न होता अब उसे अब की तरहा दूर करना हैअच्छा होता जो खुद को दरिया में डुबाया न होता इतना भी क्या इख्तियार करना किसी पेबच जाते हम अग़र दिल उसे दिखाया न होता हमनें तो हर लम्हा उसकी ख्वाहिशें पूरी कीहम मतलबी होतेContinue reading “कुछ अनकहा”
ज़रूरी है क्या?
मुझे मुशकिलों में डालना ज़रूरी है क्यामेरे ख्वाबों का टूट जाना ज़रूरी है क्या कुछ हालात तुम खुद ही समझ लिया करोतमाम बातों का बताना ज़रुरी है क्या तुम थोड़ा तो करो यकीं मेरी सुर्ख आंखों कातुम्हें आंखों में काजल लगाना ज़रूरी है क्या ये रास्ते डूबे-डूबे नज़र आ रहे पानीहद से ज़्यादा तुम्हें बरसानाContinue reading “ज़रूरी है क्या?”
Tasveer
किसी के सहारे ज़िंदगी कट रही हैधूप इतनी तेज़ क्यों पड़ रही है किसी के हिस्से का कौन ले जाएगाघर घर में ये ईंट क्यूं बट रही है इतना भी छोटा नहीं मेरा आशियांपल पल तेरे लिए क़िस्मत क्यूं लड़ रही है तेरी एक झलक तक मकबूल नहींतेरी तस्वीर आँखों में ही क्यूं तड़प रहीContinue reading “Tasveer”
कुछ नया
अब ऐसी ख़ामोशी क्या हुई ज़माने मेंलोग घबरा जाते हैं सच बताने में अब यूं मुसलसल कौन हमसे बातें करेहमें कहां देर लगती है अश्क बहाने में होगी राहत जो कोई अब(पानी) की बात करेनहीं तो देर कहां लगती है आग लगाने में वो भी ज़मीं पर आ गिरा बदनसीबसदियां बीत गई जिसे पंख लगानेContinue reading “कुछ नया”
कुछ आदतें
खामखां रोने की आदत अब छूट जानी चाहिएरिश्तों में जो बनी दीवारें अब टूट जानी चाहिए बातें जोड़कर हमनें एक कुछ नया बनाया हैवक़्त पर काम न आए दोस्ती अब टूट जानी चाहिए ये सब लोग भी अपने हिसाब से चलते हैंवक़्त से न चले वो घड़ी अब टूट जानी चाहिए मेरे ज़ज़्बात यहीं कैसेContinue reading “कुछ आदतें”