अब थक गया हूं मैं और ख़ुद की वक़ालत नहीं कर सकता
मेरे भरोसे मत रह दिल अब मैं तेरी हिफाज़त नहीं कर सकता
हुए थे जो मेरे एहसास मैंने बड़े हिफाज़त से सज़ा रखे हैं
मैं लिखकर दिखा सकता हूं मग़र बात नहीं कर सकता
कहने को कुछ बाकी नहीं छोड़ा हमनें वैसे
मैं हर किसी के सामने उसकी शिकायत नहीं कर सकता
मेरे अपने ही लोग बहुत अजीबोगरीब पेश आ रहे हैं
कोई प्यार करता नहीं और मैं बग़ावत नहीं कर सकता
आज ही तो मैं इक अरसे बाद घर लौट कर आया हूं
मेरी मां का ख्याल है मैं तेरी याद में बरसात नहीं कर सकता
इतना आसां कहां किसी को ज़िन्दगी से जुदा कर देना
मैं इंतज़ार कर सकता हूं मग़र दिन को रात नहीं कर सकता
Written by :- Gaurav Singh