मेरी आंखों को किसकी नज़र लग गई
उसके दिल में भी कोई है हमें ख़बर लग गई
इक ज़िंदगी और मिले ऐसी दुआ नहीं चाहिए
कैसे उभरे इस ग़म से इसमें ज़िंदगी ज़हर लग गई
नूर तक हमें देखने की ख्वाहिशें बहोत थीं मग़र
आसमां में देखते रहे और सहर लग गई
आख़िरी जवाब से हमनें दिल ये अलग कर दिया
दिल बंद ताबूत में कर लिया जैसे कबर लग गई