हमें इश्क़ है उनसे कहना भी नहीं है
उनके बिन जीना भी नहीं है
खुद तो परेशान रहते हैं हम मग़र
उनकी परेशानी में रहना भी नहीं है
वो सामने दिखते ही रास्ता बदल लिया करते हैं
अब हमें भी उनके रास्ते में भी जाना नहीं है
अंधेरे में खोजा करते थे उन्हें
आज वो आफताब लिये खड़े हैं करीब उनके जाना भी नहीं है
वो काफी हसमुख हसीं हुआ करते थे
जब जंग में इश्क़ की हम हुआ करते थे
बहोत दलीलें दी हमनें हसरतें हयात की
अब उनके गुनाह-ऐ-गुलशन में जाना नहीं है
दिल तो चाहता है गुलाम बना लूं उन्हें
पर ज़मीर में दस्तूर हम भी रखते हैं
उल्फ़त तो दिख गयी हमें भी दिल में उनके
अब उल्फ़त के साये में भी जाना नहीं है
By:- Gaurav Singh
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