अभी शुरू किया है।

आपकी बात पर गौर किया है,अभी पीना शुरू ही किया है…2 पहले ज़िन्दगी कट रही थी, मग़र अब जीना शुरू किया है

याद में तेरी सब भूल जाता हूं, पल-दो-पल सही तुझे भी याद आता हूं…2
एक दफ़ा तुजसे मिल लेता, मग़र तेरे बिन ही सही अब जीना शुरू किया है

जब-2 महफ़िल जमेगी यारों की, बेहिसाब जाम लगते रहेंगे…2
देख कर दिलों के रिश्ते हमारे, देखो किसी ने अब जलना शुरू किया है

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आपके लिये वो लफ़्ज़ बने ही नहीं जिनसे आपको लिख पाऊं…2
पहले तो सब ठीक था तब आप थे, मग़र अब दिल ने घबराना शुरू किया है
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ख़ुशी हुई ख़ुशी देखकर, अपनी न सही आप की देखकर…2
हम तो पहले से ही चाहते हैं आपको, मग़र अब किसी और को चाहना शुरू किया है…

चाह कर भी दिल से न निकाल पाओगे, टूट जाओगे मग़र जुड़ नहीं पाओगे…2
देखो अब हमें याद न करना तुम, हमनें ख़ुद को जोड़ना अब शुरू किया है

By:-Gaurav Singh
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अज़नबी साये।

बहोत आये अज़नबी साये, मग़र
रूह नही थी सिर्फ बदन आए…2

ख़ुद को अभी तक आजमाया नहीं
सिर्फ ग़रज़ थी जिसको वही आज़माने आए…2
हैरत तो बहोत हुई,मग़र  लफ्ज़ मेरे ज़ुबां पर न आए
मोहताज़ जब बन गया उनका, वो जब भी करीब आये फ़ना करने आए…
बहोत आये अज़नबी साये, मग़र
रूह नही थी सिर्फ बदन आए…2

उसके संग जो पल आए बेहतरीन आए
ग़ुज़ारिश थी उनसे बस वो बार-2 आए…2
हसीन गुफ़्तगू होती रहे, ज़िंदगी भर साथ रहें
मग़र वो बेहिस खूब निकले उस दिन के बाद हमसे मिलने भी नही आए…
बहोत आये अज़नबी साये, मग़र
रूह नही थी सिर्फ बदन आए…2

शुक्र है ख़ुदा का, किसी ने  ख़ैर की हमारी
वो तो इस उम्मीद में थे, हम पागल बन जाए…2
ज़िंदगी में आते रहेंगें हसीन साये, मग़र
तुझसा कोई बदनसीब न आए….
बहोत आये अज़नबी साये, मग़र
रूह नही थी सिर्फ बदन आए…2

By:-Gaurav Singh
Blog:- https://gauravpoetryblog.wordpress.com

तेरी-मेरी एक बात

तेरी मेरी एक बात होनी चाहिए…2
इश्क़ पर न सही, हालात पर होनी चाहिए

यूं मुसलसल तेरा नाम ज़ुबां पर आना, मग़र
तेरी लत मुझ पर हावी नहीं होनी चाहिए…2
दिल है तो अब पिघलना भी चाहिए, मग़र
आंखें सूखी हैं अभी इनमें अश्कों का बहाव होना चाहिए
तेरी मेरी एक बात होनी चाहिए…2
इश्क़ पर न सही, हालात पर होनी चाहिए

दिल है किसी का, यूं तोड़ना नहीं चाहिए
सच कहूं किसी से अब, हमें प्यार नहीं चाहिए…2
अफसाना इश्क़ का बहोत हो गया,
अब अलविदा प्यार से कहना चाहिए…
तेरी मेरी एक बात होनी चाहिए…2
इश्क़ पर न सही, हालात पर होनी चाहिए

हम वो नायाब चीज़ हैं तेरी रिवायतें बसती हैं जिसमें
तसव्वुर सब ओर बस तेरा होना चाहिए…2
वसल जलजला उठा दूं तेरी याद में
मग़र तेरी यादों में वो दम होना चाहिए…
तेरी मेरी एक बात होनी चाहिए…2
इश्क़ पर न सही, हालात पर होनी चाहिए

By:- Gaurav Singh
Blog:-https://gauravpoetryblog.wordpress.com

Tere liye…

जब-जब तू  रूठेगा मनाने आऐंगे
आंसू भी तेरे पोछने आऐंगे, मग़र…2
जा चुकें हैं बहोत दूर तुझसे, अब तू ही बता
कब्र से निकलर कैसे आऐंगे…

खुद ही चुन लिया करो अपनी मंज़िल का रास्ता
जब जब तुम चौराहे पर खड़े हो…2
लो मुश्किलों का रास्ता
मग़र इश्क़ का रास्ता मत लेना….

इश्क़ है मुझपे बहोत, थोड़ा-2 कर लिया करता हूं
पानी ही तो है, झूठा भी पी लिया करता हूं…2
तू तो क्या चीज़ है, जिसने मुझे ठुकरा दिया
नादान समझकर तुझे छोड़ दिया करता हूं…

By:- GAURAV SINGH
Blog:- https://gauravpoetryblog.wordpress.com

Thank you AOL

आपको, सबसे पहले प्रणाम करता हूं
अब दिल का हाल बयां करता हूं…
आपका नाम है प्रतीक 
करतें हैं सबको ठीक☺️

जब आपसे मिला था, कुछ मायूस था
कुछ अजीब था, खुद भी कहीं ग़ुम था…

मेरे साथ कुछ यूं हुआ करता था
सब चाबी, मैं ताला हुआ करता था…
चाबी से खोल लिया करते थे लोग
नहीं तो तोड़ दिया करते थे लोग…

मेरी पहचान, मुझमें ही ग़ुम थी
क्या किसी से कम थी…
लोगों ने नकारा था, फिर
मुझे आपने ही सवारा  था…

आपने मुझे एक कीमती तोफा दिया
Art Of Living सिखा दिया…

दिल किया मेरा ये राज़ सबसे साझा किया जाए
दिल की ख्वाहिश है आपसे एक दिन मिल लिया जाए…☺️

From:- Gaurav Singh
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शरीफ चाचा…

ये दुनियां कुछ ऐसी होनी चाहिए
शरीफ चाचा जैसी होनी चाहिए…2

यूं तो बेमतलब लड़ा करते हैं सब
ज़िंदगी से लड़ने वाला चाहिए…
आग तो सबके दिलों में है, मग़र
किसी घर का चूल्हा जलना चाहिए…

अपनों के लिए सब जीते हैं
बेबस के लिये जीना चाहिए…
खुद के लिए फ़रिश्ता चाहते हो, मग़र
तुम्हें भी तो फ़रिश्ता होना चाहिए…

80 बरस के है वो
उनका हौसला देखना चाहिए, वो कहते हैं…
“क्या हिन्दू “,”क्या मुसलमान” सबसे पहले हैं इंसान
अब यही सोच सबकी होनी चाहिए…

कुछ बदनसीब हुआ करते हैं
जिनके संग धोखे हुआ करते हैं…
हमें इनसे नहीं डरना चाहिए
हमें भी शरीफ चाचा जैसा होना चाहिए

ये दुनियां कुछ ऐसी होनी चाहिए
शरीफ चाचा जैसी होनी चाहिए…2

By:-Gaurav Singh
Blog:-gauravpoetryblog.wordpress.com

जज़्बात

जज़्बात तेरे ये जज़्बात, जज़्बात मेरे ये जज़्बात
हम दोनों के ये जज़्बात, कत्लेआम कर दिये किसी ने
सोचता हूं खुदा उन्हें कैसे माफ करेगा
अगले जनम में उनके साथ भी यही करेगा…

ज़रूरी नहीं इश्क़ दो तरफा होना चाहिए
एक तरफा ही सही मग़र बेमिसाल होना चाहिए
हमारा भी तो यही हाल था उसके लिये बेमिसाल था
लेकिन बाद में पता लगा उसका दिल तो किसी ओर के लिये बेहाल था…

इश्क़ का बोझ ढो लिया करते हैं
याद जब आती है उसकी तो लिख लिया करते हैं
वो भी क्या खूब थी उसकी ज़ालिम हंसी
बस आंखे बन्द करके उसका ही दीदार कर लिया करते हैं…

By:- Gaurav Kumar
Blog:- https://gauravpoetryblog.wordpress.com

दो पल।

तुमसे बस यही चाहता हूं
दो पल खुशी के उधार चाहता हूं
रोज़ आता है कोई अजनबी से ख्वाबों में
आज फ़ना होकर उनसे मिलना चाहता हूं

नज़ाकत से नूर को साथ लिए चल रहा था
ख़ुश था ज़माने से अलग चल रहा था
दिल ख़ुश तो कर दिया करता हूं सभी का
मग़र मेरा दिल अय्यार है बड़ा आंसू भी साथ लिये चल रहा था

खफ़ा हो गया कोई हमसे
नफरत कर गया कोई हमसे
उन्होंने भी क्या रंजिश बनाई है
हमनें भी अपना सिर झुकाकर क्या खूब निभाई है

By:- Gaurav Singh
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मैं खुद…

मैं जो ख़ुदग़र्ज़ कोई ढूंढ़ने चला
सबसे ज्यादा वो मुझमें ही मिला
सच बताने पर रुठ जाते हैं लोग
देखा जो खुद को सबसे जूठा मैं ही मिला…

ख़ूब चला हूं कागज़ के पैरों से
मेरे लिये उसने कांच की सड़क बनाई है
बहोत मिले मुझे ज़ख़्मी लोग
मग़र सबसे ज्यादा ज़ख़्मी भी वही मिला…

मैंने कितनी दफा कहा उसे उतर आ गहराई में मेरी
और मुझे भी तुझमे  समाने दे
तूने तो समझ लिया है मुझे
अब मुझे भी थोड़ा समझ जाने दे…

By:-Gaurav Singh
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शीशे का जाल

तुम्हें पाना  मेरी चाहत नहीं
ग़मो का समंदर पा लिया है मैंने
ये जो काफिला आँसुओ निकलता है
सीधा वहीं जाता है…

तेरे साथ जो लम्हें मैंने गुज़रे थे
कैद कर लेता उन्हें मेरे पास जो शीशे का जाल है
खुद ही अपनी एक क़ायनात बना लेता
कतरा-कतरा जोड़कर उसे रंगवा भी  लेता…

ये जो ताबीर का मकां बना लिया है मैंने
लोंगो की नज़र में आ ही जाता है
मय्यसर तुझमें रहता हूं
नहीं तो कब का तोड़ भी देता…

इनायत मेरी तुझे मिली है
रिवायतें-ऐ-इश्क़ किया था मैंने
मुसलसल न किया होता तो
तू कब का चल बसा होता…

By:- Gaurav Singh
Blog Link:- https://gauravpoetryblog.wordpress.com

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