उसकी बातें

इक  नाम  से  आंखे  नम  कैसे हो जाती हैं
अक़सर तूफ़ां में  रेत गुम  कैसे  हो जाती है

कितना बेचैन है हर ज़र्रा ठहर जाने को
फिर उसकी ज़िंदगी क़याम कैसे हो जाती है

सहर होते ही लोग सड़कों पर दौड़ते हैं
ख़ुशबू दौलत की वहम कैसे हो जाती है

लोग खुशियां मनाते होंगें जन्मदिन पर
मैं  सोचता  हूं उम्र कम कैसे हो जाती है

उसका कितना मशहूर कारोबार है दर्द का
तो फिर वो किसी की हमदम कैसे हो जाती है

उसके निग़ाहों के कूचे तो सूखे पड़े हैं
बारिश यहां बे-मौसम कैसे हो जाती है

अच्छा तो मेरी ख़ुशी अब अपने नाज़ में है
मैं लिखता हूं ग़ज़ल नज़्म कैसे हो जाती है

कितने रिश्ते टूटते देखे हैं मैंने मग़र किसी
की ज़िंदगी किसी के नाम कैसे हो जाती है

Insta link- mrshayarg

कुछ बातें

जो दर्द में साथ दे  उसकी चाहत  होती हैं
हर   शख्श  में   कुछ बुरी आदत  होती हैं

प्यासी ज़मीं का नगमा आसमां  ही सुनता है
तभी तो गर्ज कर सावन में बरसात  होती हैं

अपने हालात का ज़िक़्र किस किस से करें
इस दौर में  कहां किसी से शिक़ायत होती है

वो ज़िंदादिल रफ़ीक़ यार है मेरा मग़र
दूर से ही सही क्यूं उससे मुलाकात  होती हैं

ये जो मौसम मेरी तबियत खराब कर देता है
यहां की फ़िज़ा में क्या उसकी औकात होती है

उसके  साथ  हसीं  वक़्त थोड़ा कम गुज़रा
अब तो बेवज़ह अपनी ख़राब हालत होती है

उसका यूं मायूस हो जाना मुझे देखा नहीं जाता
मालूम है इसमें कोई दर्द भरी बात होती है

मेरे पूछ लेने से कोई सुकून तुझे भी मिले
तेरे  पूछ  लेने  से  मुझे  भी राहत होती है

कुछ अच्छे यार हमें भी हमारे मिले होते
मग़र कहां सबके पास ये दौलत होती है

BY :- Gaurav Kumar

(insta Link:- mrshayarg)

Khani

आज मुझे एक कहानी लिखनी है
लफ्ज़ मेरे तेरी ज़ुबानी लिखनी है

वो जो तेरे यार मिले थे मुझे, सब बेकार मिले थे मुझे
तूने बिन समझे,  उनको अच्छा बता दिया
थोड़ा वक़्त तो देती अपने आप को, समझने के लिये
तूने बिन वक़्त दिये, मुझको फरेबी बता दिया
आज मुझे एक कहानी लिखनी है
लफ्ज़ मेरे तेरी ज़ुबानी लिखनी है

वो जो तेरे दरवाज़े खुले पड़े हैं दिल के, बन्द कर
कहीं कोई याद मेरी अंदर न चली जाए, बन्द कर
बहोत लोग हैं यहां कतार में देख कोई पसन्द आ जाए
आज मैंने तुझे इश्क़ के बाज़ार के काबिल बना दिया
आज मुझे एक कहानी लिखनी है
लफ्ज़ मेरे तेरी ज़ुबानी लिखनी है

दिल छोटा नहीं है मेरा, मुझे भरोसा है तेरा
तू  दिल तोड़ देगी एक दिन, साथ छोड़ देगी मेरा
मैंने भी इसका इंतज़ाम कर रखा है
तेरी तसवीर को अपना बना रखा है
आज मुझे एक कहानी लिखनी है
लफ्ज़ मेरे तेरी ज़ुबानी लिखनी है

दुनिया बड़ी अंजान लगती है, सुबह भी शाम लगती है
जैसे मैं इंतज़ार करता हूं तेरा,मेरे जाने के बाद तू भी करती है
चल बता दे तेरी कोई बात जो मुझे बतानी हो, बेशक़ पुरानी हो
बता दे मुझसे कोई परेशानी हो, मैं सब ठीक कर दूंगा बिना कीमत लिए करूँगा…
आज मुझे एक कहानी लिखनी है
लफ्ज़ मेरे तेरी ज़ुबानी लिखनी है

By:- Gaurav kumar/ mr shayar

तुझे लिखूं के याद करू…

बदल लो दुनिया, ये अच्छी नहीं…2
चलो मेरे साथ, दिल के शहर में ले चलूं
मुझे पता है तू क्या चाहता है…2
तू कहे तो, तेरे लिये एक ज़माना तैयार करूं
आज तुजसे थोड़े से सवाल करूं
चल बता तुझे लिखूं के याद करुं…

मैं अज़नबी हूं थोड़ा विश्वास दे, डर मत अपना हाथ दे…2
तुझे बेहद चाहता हूं मैं, अब बस तू मेरा साथ दे
तुझे कोई समझना चाहे, तो मेरा पता बता देना…2
तुझ पर लिखी किताब हूं मैं
आज तुजसे थोड़े से सवाल करूं
चल बता तुझे लिखूं के याद करुं…

किसी की ना को हा समझ लेना कोई आसान बात नहीं
सिर्फ चेहरा ठीक है उसका, और तो कोई ख़ास बात नहीं
क्या हुआ आंखे हैं मोतियों जैसी उसकी
हम भी तो किसी जोहरी से कम थोड़ी है
आज तुजसे थोड़े से सवाल करूं
चल बता तुझे लिखूं के याद करुं…

ग़लत लिखे को मिटाना पड़ता है
जो ग़लत है रिश्तों में उसे हटाना पड़ता है
जब प्यार ही प्यार हो दिल में
तब तो नफरत वालों को भी अपना बनाना पड़ता है…
आज तुजसे थोड़े से सवाल करूं
चल बता तुझे लिखूं के याद करुं…

By:-Gaurav Singh
Blog:-https://gauravpoetryblog.wordpress.com

कैसे कहूं बेवफ़ा तुझे।

तेरी ज़िन्दगी है, तू किसी के नाम कर…2
मग़र, मुझे भी थोड़ा सा बदनाम कर…
लोग मुझे अच्छा समझते हैं, इनको थोड़ा तू हैरान कर…2
भुला दूं सब रिश्ते दुनिया से, आज ज़ुल्म तू बेहिसाब कर
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है
कैसे कहूं बेवफा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है…

मुझे तेरी आँखो में आंसू नहीं चाहिए…2
मग़र, थोड़ा तू मेरा भी तो ख़्याल कर
बस एक ग़ुज़ारिश है तुजसे…2
आज तू कुछ पल ही सही, मग़र अपना दिल मेरे नाम कर
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है…2
कैसे कहूं बेवफा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है

आज हक़ीक़त का जुआ खेल ही लिया जाये…2
तू कितना अमीर बनता है, तुझे देख लिया जाये
मेरी तो ज़िन्दगी दाव पर लगी है,मग़र…2
तेरी हर दौलत को आज लूट लिया जाये
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है…2
कैसे कहूं बेवफा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है

तेरे लबों की ख़ामोशी समझ जाता हूं…2
किसी और का नाम लेती हो अब, मैं कहाँ याद आता हूं
प्यार तो प्यार ही होता है, तू कब तक छुपाएगी…2
आंसुओ में सही, मैं तेरी आँखों में उमड़ ही आता हूं
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है…2
कैसे कहूं बेवफ़ा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है

By:- Gaurav Kumar

कैसे कहूं बेवफ़ा तुझे।

तेरी ज़िन्दगी है, तू किसी के नाम कर…2
मग़र, मुझे भी थोड़ा सा बदनाम कर…
लोग मुझे अच्छा समझते हैं, इनको थोड़ा तू हैरान कर…2
भुला दूं सब रिश्ते दुनिया से, आज ज़ुल्म तू बेहिसाब कर
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है
कैसे कहूं बेवफा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है…

मुझे तेरी आँखो में आंसू नहीं चाहिए…2
मग़र, थोड़ा तू मेरा भी तो ख़्याल कर
बस एक ग़ुज़ारिश है तुजसे…2
आज तू कुछ पल ही सही, मग़र अपना दिल मेरे नाम कर
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है…2
कैसे कहूं बेवफा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है

आज हक़ीक़त का जुआ खेल ही लिया जाये…2
तू कितना अमीर बनता है, तुझे देख लिया जाये
मेरी तो ज़िन्दगी दाव पर लगी है,मग़र…2
तेरी हर दौलत को आज लूट लिया जाये
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है…2
कैसे कहूं बेवफा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है

तेरे लबों की ख़ामोशी समझ जाता हूं…2
किसी और का नाम लेती हो अब, मैं कहाँ याद आता हूं
प्यार तो प्यार ही होता है, तू कब तक छुपाएगी…2
आंसुओ में सही, मैं तेरी आँखों में उमड़ ही आता हूं
कुछ तेरे दिल में कुछ मेरे दिल में सिलसिला शुरु होता है…2
कैसे कहूं बेवफ़ा तुझे, मेरे दिल में बहोत दर्द होता है

By:- Gaurav Kumar

Cyber City.

कॉलेज खत्म होते ही, जब नौकरी की बात आई
फ़िर, ये ज़िंदगी मुझे सायबर सिटी ले आई

यहां लोगों की ज़िन्दगी 9से6 ऑफिस में जाती है
टी ब्रेक में लड़कियां भी सिगरेट जलाती हैं
देख कर इन्हें, पल भर में दिल में धड़कन बढ़ जाती है
फिर, ये ज़िंदगी मुझे साइबर सिटी ले आती है

थका होता हूं, फिर भी थोड़ा काम कर लेता हूं
सब चले जाते हैं घर, मैं कल का बोझ कुछ कम कर लेता हूं,
जब कोई साथ होता है, दिल लगा रहता है मग़र अकेला हूं
फिर, ये ज़िन्दगी किसी से मिलाने सायबर सिटी ले आई

सिर्फ यहां के लोग ठीक हैं, मग़र लोगों से ज़हरीली हवाएं
कुछ दिल के करीब लोग आ जाते हैं ख़ास बन जाते हैं
सफ़र काफ़ी कर लिया, किसी के साथ दो पल मुक्कमल हो
फिर, ये ज़िन्दगी किसी अजनबी से मिलाने cyber city le aai

By:-Gaurav Singh
Blog:-https://gauravpoetryblog.wordpress.com

शिकवे।

बहोत हैं शिक़वे सुनाऊं कैसे, बहोत हैं आंसू छिपाऊं कैसे…2
तेरा दिल तो हंस रहा है, मग़र अपने दिल को चुप करुं कैसे…

समां कुछ बदला-2 सा लग रहा है,पहले वाला लाऊं कैसे…2
मेरी तक़दीर में मौसम-ए-इश्क़ नहीं, वो लकीर बनाऊं कैसे…

जद्दोजहद हो रही दिल-दिमाग की, किसी को ग़लत बताऊं कैसे…2
तू फ़लक बन गयी है, मग़र मैं पंछी खुद को बनाऊं कैसे…

बर्फ सा बन गया हूं पिघल जाता हूं, खुद को बरकरार रखूं कैसे…2
तुझ बिन तो अधूरा हूं मैं, अकेला यूं बह जाऊं कैसे…

आ कर मेरे क़रीब बदन बेहोश कर देना तुम…2
होश में तेरी रूह तक जाऊं कैसे…

By:- Gaurav Singh
Blog:- https://gauravpoetryblog.wordpress.com

शिकवे।

बहोत हैं शिक़वे सुनाऊं कैसे, बहोत हैं आंसू छिपाऊं कैसे…2
तेरा दिल तो हंस रहा है, मग़र अपने दिल को चुप करुं कैसे…

समां कुछ बदला-2 सा लग रहा है,पहले वाला लाऊं कैसे…2
मेरी तक़दीर में मौसम-ए-इश्क़ नहीं, वो लकीर बनाऊं कैसे…

जद्दोजहद हो रही दिल-दिमाग की, किसी को ग़लत बताऊं कैसे…2
तू फ़लक बन गयी है, मग़र मैं पंछी खुद को बनाऊं कैसे…

बर्फ सा बन गया हूं पिघल जाता हूं, खुद को बरकरार रखूं कैसे…2
तुझ बिन तो अधूरा हूं मैं, अकेला यूं बह जाऊं कैसे…

आ कर मेरे क़रीब बदन बेहोश कर देना तुम…2
होश में तेरी रूह तक जाऊं कैसे…

By:- Gaurav Singh
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अभी शुरू किया है।

आपकी बात पर गौर किया है,अभी पीना शुरू ही किया है…2 पहले ज़िन्दगी कट रही थी, मग़र अब जीना शुरू किया है

याद में तेरी सब भूल जाता हूं, पल-दो-पल सही तुझे भी याद आता हूं…2
एक दफ़ा तुजसे मिल लेता, मग़र तेरे बिन ही सही अब जीना शुरू किया है

जब-2 महफ़िल जमेगी यारों की, बेहिसाब जाम लगते रहेंगे…2
देख कर दिलों के रिश्ते हमारे, देखो किसी ने अब जलना शुरू किया है

*******
आपके लिये वो लफ़्ज़ बने ही नहीं जिनसे आपको लिख पाऊं…2
पहले तो सब ठीक था तब आप थे, मग़र अब दिल ने घबराना शुरू किया है
*******

ख़ुशी हुई ख़ुशी देखकर, अपनी न सही आप की देखकर…2
हम तो पहले से ही चाहते हैं आपको, मग़र अब किसी और को चाहना शुरू किया है…

चाह कर भी दिल से न निकाल पाओगे, टूट जाओगे मग़र जुड़ नहीं पाओगे…2
देखो अब हमें याद न करना तुम, हमनें ख़ुद को जोड़ना अब शुरू किया है

By:-Gaurav Singh
Blog:-https://gauravpoetryblog.wordpress.com

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