मुझे मुशकिलों में डालना ज़रूरी है क्या
मेरे ख्वाबों का टूट जाना ज़रूरी है क्या
कुछ हालात तुम खुद ही समझ लिया करो
तमाम बातों का बताना ज़रुरी है क्या
तुम थोड़ा तो करो यकीं मेरी सुर्ख आंखों का
तुम्हें आंखों में काजल लगाना ज़रूरी है क्या
ये रास्ते डूबे-डूबे नज़र आ रहे पानी
हद से ज़्यादा तुम्हें बरसाना ज़रूरी है क्या
मैं रस्में-ए-अदावत की कोशिशें कर रहा
तुम्हें दोस्ती याद दिलाना ज़रूरी है क्या
मेरी ख़ामोशी अब कुछ यूं ही बयां होगी
लफ़्ज़ सभी को समझ आना ज़रूरी है क्या
कुछ ठीक गुज़र रही है मेरी ज़िंदगी
खामखाँ तुम्हें अंदाज़ा लगाना ज़रूरी है क्या
सुकून मिल जाए तुम ज़िंदगी मिले तो कभी
हमें देखते ही रास्ता बदलना ज़रूरी है क्या
रास न आए वो कुछ अजीब लोग मुझे
मेरा भी सबको रास आना ज़रूरी है क्या