जो दर्द में साथ दे उसकी चाहत होती हैं
हर शख्श में कुछ बुरी आदत होती हैं
प्यासी ज़मीं का नगमा आसमां ही सुनता है
तभी तो गर्ज कर सावन में बरसात होती हैं
अपने हालात का ज़िक़्र किस किस से करें
इस दौर में कहां किसी से शिक़ायत होती है
वो ज़िंदादिल रफ़ीक़ यार है मेरा मग़र
दूर से ही सही क्यूं उससे मुलाकात होती हैं
ये जो मौसम मेरी तबियत खराब कर देता है
यहां की फ़िज़ा में क्या उसकी औकात होती है
उसके साथ हसीं वक़्त थोड़ा कम गुज़रा
अब तो बेवज़ह अपनी ख़राब हालत होती है
उसका यूं मायूस हो जाना मुझे देखा नहीं जाता
मालूम है इसमें कोई दर्द भरी बात होती है
मेरे पूछ लेने से कोई सुकून तुझे भी मिले
तेरे पूछ लेने से मुझे भी राहत होती है
कुछ अच्छे यार हमें भी हमारे मिले होते
मग़र कहां सबके पास ये दौलत होती है
BY :- Gaurav Kumar
(insta Link:- mrshayarg)
Beyhadh khoobsurat 😊👏👏
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Thanks priya😀😀
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Well written junior 😊
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Thanku ma’am…
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Thanks ma’am
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