ये दुनियां कुछ ऐसी होनी चाहिए
शरीफ चाचा जैसी होनी चाहिए…2
यूं तो बेमतलब लड़ा करते हैं सब
ज़िंदगी से लड़ने वाला चाहिए…
आग तो सबके दिलों में है, मग़र
किसी घर का चूल्हा जलना चाहिए…
अपनों के लिए सब जीते हैं
बेबस के लिये जीना चाहिए…
खुद के लिए फ़रिश्ता चाहते हो, मग़र
तुम्हें भी तो फ़रिश्ता होना चाहिए…
80 बरस के है वो
उनका हौसला देखना चाहिए, वो कहते हैं…
“क्या हिन्दू “,”क्या मुसलमान” सबसे पहले हैं इंसान
अब यही सोच सबकी होनी चाहिए…
कुछ बदनसीब हुआ करते हैं
जिनके संग धोखे हुआ करते हैं…
हमें इनसे नहीं डरना चाहिए
हमें भी शरीफ चाचा जैसा होना चाहिए
ये दुनियां कुछ ऐसी होनी चाहिए
शरीफ चाचा जैसी होनी चाहिए…2
By:-Gaurav Singh
Blog:-gauravpoetryblog.wordpress.com