जज़्बात तेरे ये जज़्बात, जज़्बात मेरे ये जज़्बात
हम दोनों के ये जज़्बात, कत्लेआम कर दिये किसी ने
सोचता हूं खुदा उन्हें कैसे माफ करेगा
अगले जनम में उनके साथ भी यही करेगा…
ज़रूरी नहीं इश्क़ दो तरफा होना चाहिए
एक तरफा ही सही मग़र बेमिसाल होना चाहिए
हमारा भी तो यही हाल था उसके लिये बेमिसाल था
लेकिन बाद में पता लगा उसका दिल तो किसी ओर के लिये बेहाल था…
इश्क़ का बोझ ढो लिया करते हैं
याद जब आती है उसकी तो लिख लिया करते हैं
वो भी क्या खूब थी उसकी ज़ालिम हंसी
बस आंखे बन्द करके उसका ही दीदार कर लिया करते हैं…
By:- Gaurav Kumar
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