तुमसे बस यही चाहता हूं
दो पल खुशी के उधार चाहता हूं
रोज़ आता है कोई अजनबी से ख्वाबों में
आज फ़ना होकर उनसे मिलना चाहता हूं
नज़ाकत से नूर को साथ लिए चल रहा था
ख़ुश था ज़माने से अलग चल रहा था
दिल ख़ुश तो कर दिया करता हूं सभी का
मग़र मेरा दिल अय्यार है बड़ा आंसू भी साथ लिये चल रहा था
खफ़ा हो गया कोई हमसे
नफरत कर गया कोई हमसे
उन्होंने भी क्या रंजिश बनाई है
हमनें भी अपना सिर झुकाकर क्या खूब निभाई है
By:- Gaurav Singh
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