आहिस्ता आना तुम आग़ोश मे भर लूं तुम्हें
मेरे जो अल्फ़ाज़ हैं उसमें अश्क़ों का अर्श है
थोड़ा सा पानी ले आना
मेरे जो अल्फ़ाज़ हैं उसमें आतिश का अर्श है
एहतियात ईमानदारी करना तुम
हयात तो हमारे ज़माने बहोत हैं
मिलकर हमसे खेरियत पूछ लेना
मेरे लबों की कशिश में उल्फ़त का अर्श है
ज़र्रा-ज़र्रा कहता है हमसे वो तक़दीर में नहीं
मैंने कहा
नाज़ ह हमें अपनी नज़ाकत पर
उसके लिये पाकीज़ा इश्क़ का अर्श है
By:- Gaurav Singh
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