ये जो खामोशी लबों की है कुछ गलत आई है
पर मैंने तो तुझे सही चुना था।
ये जो हवाएं हैं अपने साथ धूल ले आई है
मैंने बंद आंखे की और तेरी तस्वीरे पाई है।
लोंगो ने दर्द की नफ़्ज़ पकड़ ली है मेरी
कितना भुलाऊँ तुझे याद दिला ही देते हैं।
पीपल की जड़ों सा जकड़ लिया तेरी यादोँ ने
उखाड़ भी दे तो ये ज़ख्म कौन भरेगा।
बहोत दुख होता है जब प्यास भी लगी हो
और समंदर भी पास हो।