दूसरों को समझने की कोशिश करता हूं
बिन पैरों के ज़मीन पर रेंगने की कोशिश करता हूं
आखिर समझा लोगों ने क्या मुझे
बस यही समझने की कोशिश करता हूं…
देखा है मैंने ज़ुबां पे ज़हर लोगों के
ज़हर ये पीने की कोशिश करता हूं
दिल के पास जा रुकी मेरी आवाज़ उनके
दिल तक जाने की क़ोशिश बार-बार करता हूं…
एक ख्वाब आया उम्मीदों का
उम्मीदें अक्सर मैं लोगों से कम ही करता हूं
इस बार कुछ नया करता हूं
तुम्हारे लिए उम्मीदों की किताब तैयार करता हूं…
By:- Gaurav Singh
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